Friday, October 7, 2011

डेंगू फीवर का अक्शिर इलाज....

डेंगू फीवर का अक्शिर इलाज....
भारतीय फौज मे ब्रिगेडियर के उच्च स्थान पर फर्ज़ अदा करते श्री वी त्यागराजन ने अपने दोस्त के साथ हुई घटना का ब्योरा दक्षिण भारतीय दैनिक के तंत्री को लिखा था इस मे जो जानकारी दी गई हे वो देश और दुनिया के सभी डेंगू पीड़ित लोगो के लिए आशीर्वाद समान हे्,हाल मे हिन्दुस्तान के कोने कोने मे डेंगू फीवर ने लोगो को अपनी झपट मे लिया हे . ५ सितंबर के प्रिंट मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक अकेले दिल्ली ही तकरीबन १२०० लोग डेंगू से पीड़ित हे. ज्यादातर डॉक्टर्स ऐसा मानते हे की डेंगू का कोई ठोस इलाज नही हे .
इस सन्दर्भ मे ब्रिगेडियर त्यागराजन के दोस्त को हुआ एक्सपीरियेन्स डेंगू पीड़ित लोगो को डेंगू से मुक्ति दिलाने मे कारगत साबित होगा. उन्के मुताबिक उनके दोस्त के बेटे को आई सी यु भर्ती किया गया था १५ बोतल खून देने के बावजूद लाल कण( प्लेटलेट्स ) कम होते जा रहे थे इतना खून देने के बावजूद प्लेटलेट्स कम होते होते ४५ हो गये थे लड़के के मा बाप समज नही पा रहे थे की क्या करे क्यूंकी हॉस्पिटल मे डॉक्टर्स उनसे जो हो सकता था वो सब कर रहे थे लेकिन उनका बेटा उन्हे मौत की आगोश मे खड़ा दिखाई दे रहा था भगवान को प्रार्थना के अलावा वो कुच्छ ना कर पा रहे थे.
तभी उनके बेटे के साथ पढ़ते बचे के गाँव मे रहते देहाती पिता ने उन्हे एक इलाज का सुजाव दिया जो डॉक्टर्स की परमिसन लेके उन्होने आजमाया. पपीते के पेड़ के २ पत्ते लेके उसे पानी से धो के उसका रस निकाल के सूती कपड़े से निचोड़ वो रस अपने बेटे को पिलाया . चंद घंटो मे लड़के के लाल कण बढ़ के १३५ हो गये बुखार भी नहीं रहा डॉक्टर्स भी हैरान थे की ये कैसे हुआ ये किसी चमत्कार से कम नही था एक ही बार के एक चमच रस से लाल कण बढ़ गये थे इतनी मसकत इलाज के बावजूद जो परिणाम ना मिल रहा था पपीते के पेड़ के २ पत्तो ने वो कर दिखाया था.दुसरे दिन भी पपीते के २ पत्ते का रस दिया गया अब वो डेंगू से मुक्त था. उस लड़के को उसी दिन हॉस्पिटल से डिसचार्ज किया गया.
पपीते के सिर्फ २ पत्ते को सादे पानी से साफ कर के उसका रस निकाल ना हे जो की करीबन एक चमच जितना निकले गा. पपीते के पत्ते को गरम पानी से धोना नहीं हे ना की उसे उबालना हे .पपीता खुद खाने में बहुत मीठा होता है पर इसके पत्ते बहुत कडवे होते हैं इसका रस पिलाने के बाद मरीज को खाने के लिए कुछ नहीं देना है और इन पत्तो का रस चौबीस घंटे में एक बार देना है .....इस से मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है .भारतीय जीवन शैली में इस तरह के कई अदभुत इलाज है जिसको सदियों से गांव वाले लोग करते आ रहे हैं ..पर आज कि आधुनिक जीवन शैली में हम इसको नजरअंदाज कर देते हैं और परेशान होते रहते हैं ......इस तरह से घर घर में पैदा होने वाली गिलोय के डंडी का रस तुलसी के पत्तो के साथ मिला कर लेने से बढ़ते हुए बुखार को काबू में लाया जा सकता है ..बच्चो को बदलते हुए मौसम में यह अवश्य दे देना चाहिए ताकि उनको आने वाली बिमारी से बचाया जा सके ..और तेज लेने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट से बचा जा सके ...
यह इलाज मैने इस साइट पर लिखा था और वाहा एक कॉमेंट आया हे जिसे मे यहा आपके साथ शेर करना चाहता हू.
Kamlesh Shah commented on your blog post "ડેંગ્યુ ફિવરનો રામબાણ ઇલાજ......" on INDIAN
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yes this is fact. My son also had the same problem recently, we gave one leaf juice of papaya & his platelets increased from 45000 to 1,25,000 in one day.I also shared my experience to one of my relative whose count was increased from 60000 to 4 lac in 2 days.This is miracle & every one should pass on this wonderful natural medicine for such a deadly disease.

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